Tuesday, September 11, 2018

चुनावी तीर्थ के घाट-घाट पर मंडराते वोटों के मौसमी पंडे- कुमार विश्वास की व्यंग्य श्रृंखला

दरवाज़े के सामने से जल्दबाज़ी में मुंह चुराकर निकल रहे हाज़ी को मैंने दरेरा ‘अमां हाज़ी तुमने तो बताया तक नहीं कि सुरजेवालाजी द्वारा जनेऊ संस्कार कराने वाले अकस्मात हिन्दू-हिन्दू दिख रहे राहुल बाबा की मानसरोवर यात्रा तुम्हारी एजेंसी ने ही सेट की थी!’ कुढ़े हुए हाजी ने बिना मुंह फेरे झल्लाए स्वर में कहा ‘क्यूं’? जब इतने बड़े देश का महाव्यस्त प्रधानमंत्री तीन घंटे जापान के प्रधानमंत्री से क्योटो में कन्वर्ट बनारस के घाट पर आरती की टुनटुनी बजवा सकता है तो हमारा निपट खाली युवराज तीन दिन के लिए शंकर से वर मांगने मानसरोवर नहीं जा सकता?’ मैंने कहा ‘बिल्कुल जा सकता है, पर वर क्यूं’? वधू मंगवाओ उससे, सोनियाजी की तबियत भी ठीक नहीं रहती, ज़रा घर ही संभल जाएगा’। हाजी बोले ‘एक ही बात है, और अब तो सुप्रीम-कानून भी आ गया है, वर मांगो या वधू दोनों जायज़ हैं! बहू या बहुमत कुछ भी दे दें, बस अब शंकर कुछ दे दें।’ मैंने हाज़ी का पुराना गिला, गीला किया ‘शंकर तो तुम्हारे युवराज को गुजरात में ही मणि दे रहे थे वो तो मणिशंकर ने हाथ से गिरवा दी, खैर अब राजस्थान, छत्तीसगढ़ में शायद इस वसुंधरा...

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