Tuesday, November 17, 2020

सुख बाहरी संसार में नहीं, मन के भीतरः साध्वी सम्यकदर्शना

संसार में हर व्यक्ति का लक्ष्य केवल सुख पाना है। भले ही यह तय नहीं किया होगा कि कौन सा और कैसा सुख पाना है। सुख दो हैं- एक नाशवान और एक शाश्वत। एक सुख वह है जो आने के बाद जाता है और एक सुख वह है जो आने के बाद नहीं जाता है। इन दोनों में से कौन-सा सुख चाहिए, यह व्यक्ति के निर्णय पर निर्भर है।

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