महिदपुर रोड। हमने अनेक प्रकार के भव किए हैं। कभी गाय, कभी कुत्ता, तो हम कभी चींटी भी बने हैं। साथ ही हमें हजारों वर्षों की नरक की यात्रा करने के बाद यह मानव का दुर्लभ तन मिला है। राजेंद्र सूरी ज्ञान मंदिर में साध्वी अमृत रसा श्रीजी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए यह बात कही।
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