खंडवा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शरीर में एकमात्र आत्मा तत्व ही मुख्य है। जब तक इस शरीर में आत्मा विराजमान रहती है तब तक हम उसकी साज संवार, देख-रेख, सुख- दुख की चिंता करते रहते हैं। आत्मा के निकलते ही हम उसी शरीर को शीघ्र से शीघ्र नष्ट करने की सोचते हैं। यह बात अष्टानिका पर्व की शुरुआत पर ब्रह्मचारी प्रदीप शास्त्री पीयूष ने कही।
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