श्राद्घ पक्ष चल रहा है, साथ ही संझा पर्व का वक्त भी। सांझ के वक्त मदमस्त चलती बयारों के बीच अगर आपका मन मयूर हो उठे और मन करे चित्ताकर्षक हाथ से बनाई संझा के दर्शन की, इच्छा हो संझा गीतों को सुनने की, तो आपको मशक्कत करनी पड़ सकती है, क्योंकि आपकी ये चाहत सहज में पूरी नहीं हो सकती।
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