Monday, September 13, 2021

अपने अंदर की निर्मलता का भाव ही उत्तम शौच धर्म : पं. संजय जैन

सोनकच्छ। जीवन में पवित्रता होनी चाहिए, क्योंकि पवित्रता का भाव ही शौच धर्म को जाग्रत करता है। शास्त्रों के अनुसार मानव को हमेशा ज्ञानरूपी अमृत से आत्मा के कर्म मल को दूर करते हुए स्वयं शौच गुणों से पवित्र कर अपनी आत्मा से सुख रूपी अमृत को प्राप्त करना चाहिए।

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