रतलाम। आराधना भवन में चातुर्मास के लिए विराजित साध्वी शुद्धदर्शना श्रीजी की सुशिष्या निराग दर्शना श्रीजी की निश्रा व धर्मगुप्त विजय जी के सान्निाध्य में प्रभु महावीर के बताए तप धर्म का अनुसरण करते हुए हंसराज पितलिया परिवार के तन्मय अंकित पितलिया ने 12 वर्ष की उम्र में महामृत्युंजय (मासक्षमण) तप की दीर्घ तपस्या पूर्ण की।
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