सत्य साधना का चतुर्थ चरण मैत्री होता है। दस दिन शिविर करने से जो पुण्य अर्जित किया है, उस पुण्य में सभी भागीदार बने ऐसी मंगल भावनाएं-शुभकामनाएं हम अपने लिए और सारे विश्व के लिए करें। सारे विश्व में विश्वबंधुत्व की भावना फैलाएं। परस्पर प्रेम व सदभाव सभी में बना रहे। यह बात खरतरगच्छाधिपति, जैनाचार्य जिनचंद्र सूरीश्वर जी ने सेठि
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