मुनिश्री रजतचंद्र विजयी तथा मुनिश्री जीतचंद्र विजयजी की निश्रा में शास्वती नवपद ओलीजी की आराधना प्रारंभ हुई। प्रवचन देते हुए मुनिश्री विजयजी ने बताया अरिहंत प्रभु के ध्यान व जाप से अशुभ कर्म नष्ट होते हैं। संसार घटता है। धर्म अभिवृद्धि होती है।
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