नेमावर। संपूर्ण संसार में मनुष्य मात्र को सदा अपने कर्तव्य कर्म के साथ परम कर्त्तव्य आत्म सुख शांति को प्राप्त करना है।श्रीमद्भागवत सतसंग में सत्गुरु शुकदेव मुनिजी महाराज ने कहा असंख्य जन्मों से आत्मा परम सुख, शांति, आनंद की प्राप्ति के लिए भटक रही है।केवल मनुष्य शरीर में ही आत्मा का कल्याण संभव है।परमात्मा की सच्ची भक्ति से असंख्य जन्मों का भटकना समाप्त
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