उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। देश हो या दानव सभी को अमृत प्रिय है। समुद्र मंथन से निकले अमृत को प्राप्त करने के लिए देवता और दानव लालायित थे। लेकिन उसी सागर से निकले हलाहल विष का पान करने को काई तैयार नहीं था। भगवान शिव ने जनकल्याण के लिए उस विष का पान किया और नीलकंठ कहलाए, जो विष पीकर अमृत प्रदान करे, वहीं शिव है। यह बात संत डा.
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