गोरमी/मिहोना(नन्यू) मनुष्य को अपने पद और सेवा का उपयोग जनसेवा के लिए करना चाहिए। हाथ का महत्व हीरे और पन्नो की अंगूठियां पहनने में नहीं, बल्कि हाथ से दान करने और सेवा करने में है। सेवा से आत्मा में परमात्मा का दर्शन होता है। ईश्वर को प्रसन्ना करने के लिए हमें भारी-भरकम दान देने और महंगी पूजा करने की जरूरत नहीं है। सिर्फ मन को
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