इनकी उपासना की पद्धति भी बदल गई थी लेकिन पुरानी परंपरा को इन्होंने छोड़ा नहीं था। गांव-गांव में पूजा पाठ कराने वाले आचार्य दिनेश मिश्रा का जब इन परिवारों को सानिध्य मिला तो धीरे-धीरे इनमें बदलाव आने लगा। आखिरकार एक दिन ऐसा आया जब ये परिवार खुद आगे आए। कहा- पूर्वजों ने जिन संस्कृति का निर्वहन किया है,उससे इतर हम नहीं जाएंगे।
from Nai Dunia Hindi News - Latest News https://ift.tt/Cu74Usb
No comments:
Post a Comment